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लाल चंदन की खेती

Kanpur, Uttar Pradesh
Red sandalwood plants, White sandalwood plants, Woods
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    लाल चंदन की खेती के लिये इसके पौधों को नर्सरी से खरीद सकते हैं. इसकी खेती के लिये मई से जून तक का महीना सबसे अच्छा माना जाता है. सबसे पहले इसके खेत में 4-5 गहरी जुताई करें और पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें. खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करें और ज्यादा जलभराव के कारण लाल चंदन के पेड़ गलकर खराब हो जाते हैं

    किसानों का हमेशा से ही कहना रहा है कि खेती से उन्हें उतना मुनाफा नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि आज भी कई किसान ऐसे हैं जो परंपरागत खेती के अलावा कुछ नया करने में संकोच करते हैं इसीलिए वे अच्छी आमदनी नहीं कर पाते. लेकिन आज हम आपके लिए एक ऐसे पेड़ की खेती की जानकारी लेकर आये हैं, जिसका सदियों से उपयोग किया जा रहा है

    चंदन के प्रकार
    चंदन के चार प्रकार होते हैं. जिसमें से एक है लाल चंदन और दूसरा सफेद चंदन, तीसरा मयूर आयर चौथा नाग चंदन. सफ़ेद चंदन की अपेक्षा लाल चंदन की मांग और दाम बहुत अधिक है. इसीलिए आज हम आपको लाल चंदन की खेती से जुडी जानकारी देने वाले हैं.

    लाल चंदन के अन्य नाम
    लाल चंदन को कई नामों से पुकारा जाता है. वैज्ञानिक इसे पेरोकार्पस सैंटलिनस कहते हैं. इसके अलावा इसे रतनजली, रक्तचंदनम, अत्ति, शेन चंदनम, लाल चंदन, रूबी, जैसे कई नामों से पुकारा जाता है.

    औषधीय गुणों से भरपूर
    चंदन में एंटी बैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है, जिसके कारण त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर इसका उपयोग किया जाता है. दाग-धब्बों और मुहासों के लिए तो घर-घर में चंदन का उपयोग होता है. इतना ही नहीं सूरज की रौशनी से जली हुई त्वचा यानी टैनिंग को भी इससे दूर किया जा सकता है. इसमें घाव को जल्दी भरने के गुण होते हैं. छोटे-मोटे घाव, खरोच पर चंदन का लेप जलाने से जल्दी राहत मिलती है. कैंसर और पंचन तंत्र की बीमारियों से बचने के लिए लाल चंदन का सेवन भी किया जाता है.

    विदेशों में मांग
    भारत से ज्यादा लाल चंदन की मांग विदेशों में है. सिंगापुर, जापान ऑस्ट्रेलिया, सहित कई देशों में इसकी मांग है, लेकिन सबसे ज्यादा चीन में लाल चंदन की डिमांड है. जहाँ इसके लिए महंगा भुगतान किया जाता है. आप इसकी खेती करके अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर व्यापार कर सकते हैं.

    खेती के लिए जरुरी
    एक बार लाल चंदन के पौधे लगाने के बाद आपको कम से कम 10 से 15 साल का इन्तजार करना पड़ता है. तब तक पौधों की उचित देखभाल जरुरी है. पौधा जब अच्छे से विकसित होकर पेड़ बन जाए तब उसकी कीमत लाखों में हो जाती है. इनकी खेती से पहले आपको सरकार से लाइसेंस लेना पड़ता है.

    मिट्टी और उचित समय
    लाल चंदन की खेती के लिए शुष्क गर्म जलवायु सही रहती है. दोमट मिट्टी जहाँ जल निकासी की उचित व्यवस्था हो, मिट्टी का पीएच मान 4.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए. ध्यान रहे कि रेतीले और बर्फीले इलाकों में इनकी खेती नहीं की जा सकती. पौधों की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून के बीच का रहता है.

    जमीन तैयार करना और रोपाई
    रोपाई के लिए लाल चंदन का पौधा आपको कहीं भी नर्सरी से 100 से 150 रुपए का मिल जाएगा. रोपाई से पहले आपको खेत को तैयार करना होता है. खेती की दो से तीन बार अच्छी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लें. अब पाटा लगाकर खेत को समतल बनाए. इसके बाद खेतों में 4-4 मीटर की दूरी पर 45 सेंटीमीटर चौड़े और उतने ही गहरे गड्ढे बना लें. अब उनमें गोबर की खाद भरे जिसके बाद ही रोपाई करें. पौधों को जहाँ लगा रहे हैं वहां जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि ज्यादा पानी से उन्हें नुकसान होता है.

    सिंचाई
    इन पौधों को एक सप्ताह में दो से तीन लीटर पानी की ही आवश्यकता होती है. इसीलिए सिंचाई की व्यवस्था इस बात को ध्यान में रखकर ही करे. रोपाई के बाद सिंचाई आवश्यक है. इसके बाद मौसम के अनुअर पानी डालें. बाद ध्यान रहे की जल भराव न हो.

    खरपतवार, रोग एवं कीट
    सभी फसलों के जैसे चंदन के पौधों के आसपास भी खरपतवार को जमा नहीं होने देना है. इससे पौधों का विकास रुक जाता है. इनमें पत्तियों के खाने वाले कीट ज्यादा लगते हैं. इसीलिए कीट नियंत्रक का छिडकाव जरुरी है.

    मुनाफ़ा
    दस से पन्द्रह साल के बाद पेड़ों की कटाई की जा सकती है. आप चाहे तो इन पेड़ों के बीच इतने सालों तक कोई अन्य फसल भी उगा सकते हैं. बात करे निवेश की तो इतने साल की देखभाल में लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं, लेकिन पेड़ों को बेचने के बाद करोड़ों की कमाई होती है. सरकार हर साल चंदन की लकड़ी के दामों में वृद्धि करती है. इनके दाम 30 हजार से 40 हजार प्रति किलो के बीच है. इसी से आप अनुमान लगा सकते हैं कि आप कितना मुनाफ़ा कमा सकते हैं.

     

     

     

     

     

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